हिमाचल प्रदेश के युवाओं के लिए सरकारी नौकरी पाना अब और भी मुश्किल हो सकता है। सुक्खू सरकार ने हाल ही में एक आदेश जारी कर उन सभी सरकारी पदों को खत्म करने का फैसला किया है, जो पिछले दो साल से खाली पड़े थे। इस आदेश ने नौकरियों की उम्मीद लगाए बैठे हजारों युवाओं को निराश कर दिया है।
यह आदेश हिमाचल प्रदेश के वित्त विभाग की ओर से आया है। प्रधान सचिव वित्त, देवेश कुमार ने सभी सरकारी विभागों को यह निर्देश दिए हैं कि वे पिछले दो साल या उससे अधिक समय से खाली पड़े सभी अस्थायी और नियमित पदों को खत्म कर दें। यह फैसला 14 अगस्त, 2012 के दिशा-निर्देशों के आधार पर लिया गया है। देवेश कुमार ने स्पष्ट किया कि अब इन पदों पर कोई भी भर्ती नहीं की जाएगी।
हिमाचल प्रदेश में करीब 1 लाख 70 हजार पद खाली पड़े हैं, जिन्हें “बैकलॉग” की श्रेणी में रखा गया है। इस आदेश के तहत लगभग 40 फीसदी पद समाप्त कर दिए जाएंगे। इसका मतलब है कि अब इन पदों पर किसी भी तरह की नियुक्ति नहीं होगी। सभी विभागों को यह निर्देश दिया गया है कि वे एक हफ्ते के भीतर इन खाली पदों को बजट बुक से हटा दें और इस आदेश का सख्ती से पालन करें।
इससे पहले भी सुक्खू सरकार ने हमीरपुर चयन बोर्ड को खत्म कर दिया था, क्योंकि वहां पेपर लीक के मामले सामने आए थे। इस वजह से एक साल तक भर्तियां ठप पड़ी रहीं। हालांकि, 15 महीने बाद सरकार ने नया आयोग बनाया और कुछ भर्तियां शुरू कीं। लेकिन, सरकारी नौकरियों की कमी और धीमी प्रक्रिया के चलते सरकार पर लगातार सवाल उठते रहे हैं।
सरकारी नौकरियों की उम्मीद में तैयारी कर रहे युवाओं के लिए यह खबर किसी बड़े झटके से कम नहीं है। हिमाचल प्रदेश में सरकारी नौकरियों की पहले से ही कमी है, और अब इस नए आदेश के बाद हालत और भी खराब हो गई है। सरकार के इस कदम से यह साफ हो गया है कि अब दो साल से अधिक समय से खाली पड़े पदों पर भर्ती की कोई उम्मीद नहीं है।